स्वामी जी का जीवन परिचय एवं संक्षिप्त विवरण

स्वामी जी का जीवन परिचय एवं संक्षिप्त विवरण

महामंडलेश्वर स्वामी महेशानन्द गिरि जी महाराज जी एक सन्यासी हैं। सन्यास की दीक्षा के बाद इन्होने भारत के उच्चकोटि के संतो (आचार्यों) के बीच रहकर सनातन वैदिक ज्ञान का अर्जन किया है। पूर्व काल में संतो की शिक्षा का कार्य आश्रमों में ही हुआ करता था आश्रम में छात्रों को वैदिक ज्ञान जैसे कि योग, हठयोग, आयुर्वेदिक यज्ञ आदि की शिक्षा दी जाती थी उचित शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वामी जी ऋषिकेश अपने गुरूभाई के पास आये उन दिनों ज़्यादातर संत ऋषिकेश में अपनी परमकुटी बनाकर रहते थे। जब वह अपने गुरूभाई से मिले तो बहुत प्रशन्न हुए परन्तु उन्हें देखकर अत्यन्त कष्ट भी हुआ क्योंकि उन्हे चर्मरोग हो गया था, चर्मरोग बहुत ही भयाभय था, जिसे गैंगरिंग कहते हैं और आयुर्वेद में गल्त कुष्ठ कहते हैं। गुरूभाई से बीमारी के विषय में सम्पूर्ण जानकारी ली और ठीक करने में लग गये अथाह प्रयास के बाद 03 वर्ष में वह ठीक हो गये ठीक होने के बाद गुरूभाई ने कहा कि तुम इस रोग का उपचार करो इसी से जन कल्याण होगा और आपके लिए कल्याणकारी होगा, गुरूभाई की भावना का सम्मान करते हुए स्वामी जी ने संकल्प लिया कि भारत को चर्मरोग से मुक्त करना है कई प्रदेशों में जाकर स्वामी जी वैद्यगणों (B.A.M.S) डॉक्टरों से सम्पर्क किया और उन्हे इस अभियान में जोड़ा अभियान का नाम "चर्मरोग मुक्त भारत" रखा गया है स्वामी जी की कृपा से यह अभियान भारत के कई प्रदेशों में चल रहा है। कई डॉक्टर इस अभियान को चला रहे हैं और लाखों रोगी इसका लाभ उठा रहे हैं।

विभिन्न शहरों में इलाज किया जा रहा है जैसे कि - सहस्वधारा, गाजियाबाद, ग्वालियर, उज्जैन, इन्दौर, भोपाल, नासिक, मुम्बई, अहमदाबाद, लुधियाना (पंजाब) व अन्य प्रदेशों के लिए स्वामी जी प्रयासरत हैं।